लेखनी कहानी -#१५ पार्ट सीरीज चैलेंज पार्ट -8
#15 पार्ट सीरीज चैलेंज
*महादेव शिव शंकर की कथाओं में निहित ज्ञान और प्रामाणिकता*
पार्ट -8
*सती और शिव*
"रूकिए आप अंदर नहीं जा सकतीं !"
खुशी के हिंडोले में झूलती सती जैसे धरती पर आ गिरी !
" लेकिन क्यों? यह हमारे पिता का घर है। "
" लेकिन आपको अंदर जाने की इजाजत नहीं है !"
" ये क्या कह रहे हैं दरबान चाचा ? आपने तो मुझे जन्म से देखा है। मैं आपकी गुड़िया सती हूं !"
" प्रजापति महाराज की आज्ञा मेरे लिए ऊपर है बिटिया, तुम तो अब ससुराल की हो गई, रोटी तो हमको वोही देत हैं !"
" नहीं पिता जी हमें क्यों मना करेंगे? आप गलत बोल रहे हैं! "
सती दरबान को धकेलती हुई महल के अंदर आ गयी और लगभग भागती हुई यज्ञ क्षेत्र में पहुंची !
प्रजापति दक्ष और माता सुदीति यज्ञ स्थल और यज्ञ वेदी का अवलोकन कर रहे थे! सती जोर से बोली -" पिता जी "
सुदीति ने बेटी की ओर पलट कर देखा -" सती "
दक्ष अनदेखा करते हुए जाने लगा !
सती ने पुन: आवाज़ लगाई और दक्ष के सामने आकर खड़ी हो गई -" पिता जी वो दरबान चाचा को डांटिए ना , मुझे आने नहीं दे रहे थे, कह रहे थे कि आपने मना किया है ! "
अब दक्ष तेजी से घूमा और जलती हुई आंखों से सती को देखते हुए बोला -" बिना आमंत्रण के लोगों को न आने देने के लिए मैंने ही बोला था! "
" पर पिताजी ये तो मेरा ही घर है ना ?"
" तेरा घर? " " तेरे वो जंगली पति ने तुझे नहीं बताया कि अब यहां तेरा कुछ भी नहीं है ! "
" अरे उस बैरागी को घर गृहस्थी का क्या ज्ञान? "
जरा तो अक्ल होना चाहिए पत्नी को बिना बुलाए कहीं भी भेज दिया? "
अब तक सती पति के लिए पिता की कड़वाहट को समझ गयी थी, महादेव के लिए अपशब्द उसकी सहन शक्ति से बाहर होने लगे !
चारों ओर देवता सिंहासन पर बैठे सुन रहे थे!
दक्ष लगातार महादेव शिव के लिए अपमान जनक शब्द बोल रहा था!
सती के कान जलने लगे ! आंखों से आंसूओं की अविरल धारा बह रही थी !
दक्ष जितना अपमान कर सकता था कर रहा था!
सती ने दोनों हाथों से कानों को बंद कर लिया!
" बस अब हम और नहीं सुन सकते "
सती फूट फूट कर रो पड़ी -" महादेव, सब हमारी ही गलती है। आपने हमें कितना समझाया था, कितना मना किया था कि बिना निमंत्रण के मत जाओ ! पर हम ही पिता के मोह और प्रेम में अंधे हो गए थे कुछ देख समझ ही नहीं पा रहे थे!
हम तो अब आपको मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहे !
किस मुंह से जाएंगे आपके पास?
हमें क्षमा कर दीजिये नाथ 🙏 हमारी वजह से आपका इतना अपमान हुआ! 😭
फिर अचानक जैसे सती गुस्से में पागल हो गई!
आदि शक्ति अपने असली दुर्गा रूप में प्रकट हो गई
" दक्ष जब तूने आदि शक्ति का आहृवान किया था तभी तुझे बताया गया था कि शक्ति सिर्फ शिव की है। तूने कभी उनका अपमान किया तो वो हमेशा के लिए चली जाएगी!"
आज तूने मेरे महादेव का अपमान करने में सारी सीमाएं लांघ दी !
मेरे महादेव का अपमान मैं हर्गिज बरदाश्त नहीं कर सकती !
आज मुझे घिन आ रही है अपने आप से कि मैने आपके घर जन्म लिया!
मुझे मेरे इस तन से नफरत हो रही है।
इन कानों से जिन्होंने आपका अपमान सुना
इन आंखों से जिसने अपमान करते आपको देखा , इन पैरों से जो महादेव की इच्छा के विरुद्ध यहां चल कर आए अपमान सुनने , इन हाथों से जो महादेव का अपमान करने वाले पर कहर बनकर नहीं टूटे !
मुझे मेरे रोम रोम से नफरत हो रही है। मेरे स्वामी का अपमान सुनकर भी प्राण नहीं निकले !
मैं अपने पति का इतना अपमान सुनने के बाद अब जीवित नहीं रहना चाहती !
फिर सभा की ओर मुड़कर सब राजाओं ,देवताओं, ऋषि, गंधर्वो से बोली -" तुम पर जब जब कष्ट आया मेरे महादेव ने तुम्हारी रक्षा की ! लेकिन उनका अपमान देख सुनकर भी तुम चुप हो, एक भी विरोध करने नहीं खड़ा हुआ! मैं सब ब्राह्मणों और ऋषियों को श्राप देती हूँ, कलयुग में जब तुम्हारे धर्म का , भगवान का , अपनों का अपमान होगा कोई तुम्हारे लिए मदद को नहीं आएगा , यहां तक कि तुम्हारा यही मौन तुम्हारे विनाश का कारण बनेगा !
फिर विष्णु की ओर घूमकर बोली -" तुम तो कहते थे महादेव मेरे दिल में रहते हैं, फिर कैसे उनका अपमान बर्दाश्त कर सके ?
आज मैं अत्यंत दुःख से अपने महादेव से दूर हो रही हूं ! हमारे विछोह , तड़प, दर्द के जिम्मेदार आप भी हैं ! पर चूंकि आप उस पीड़ा को सच्चे प्रेमियों के बिछड़ने के दुख को नहीं समझ सकते जबतक आप पर ना बीते ! मैं आपको श्राप देती हूँ आप को अपने हर अवतार में अपनी प्रेयसी का विछोह सहना पड़ेगा !
कहकर सती यज्ञ के लिए जलते हुए कुंड में कूद गई!
सती के कुंड में कूदते ही चारों तरफ चीख पुकार मच गई !
ज्ञान :- महादेव शिव का स्वभाव और व्यवहार सीखने लायक है!
१) विवाह से पूर्व सती के प्रेम में पागल होने के बावजूद कभी उन्होंने उसका फायदा नही उठाया
२) सदैव सती को समझाया कि दोनों के हालात विपरीत हैं वो महल में रहती है और वो जंगल में वो अपने पिता की मर्जी से विवाह कर लें !
३) सती ने जब भी पुकारा वे दौड़ कर आए ,सदैव उसकी रक्षा की
४) जब सती ने कह दिया कि सब कुछ छोड़ने को तैयार हूं पर आपके अलावा किसी और से विवाह नहीं करूंगी तो उसके प्रेम का सम्मान करते हुए विवाह का रास्ता निकाला
५) स्त्री को अपना वर चुनने का अधिकार है कहकर दक्ष को स्वयंवर करने को कहा, संभवत: लव स्टोरी की तरह स्वयंवर भी ब्रह्मांड का पहला यही था
६) पत्थर की मूर्ति को हार पहनाने को वैधानिक बताया और कहा जब पत्थर के ईश्वर पूजा,फूल,भोग ,हार स्वीकार कर वरदान दे सकते हैं तो पत्थर की मूर्ति से विवाह क्यों नहीं हो सकता ? मैं ईश्वर हूँ मैं वरमाला स्वीकार करता हूँ और सती को पत्नी रूप में भी !
७) विवाह पश्चात भी महादेव ने सती को बहुत प्यार दिया बहुत सी विद्याएं सिखाई !
८) उसकी मर्जी का सदा सम्मान किया!
९) वो पिता के घर जाना चाहती थी तो उसे रोका ,गलत सही समझाया, बिना निमंत्रण कहीं भी जाने पर अपमान मिलता है बताया पर जिद करने पर उसके निर्णय का मान रखकर जाने दिया !
१०) ईश्वर होते हुए महादेव ने मानवी सती के प्रेम का भरपूर सम्मान किया, यहां तक कि पृथ्वी पर मानव देह में उसके प्रेम के हर संवेग को समझने के लिए मनुष्य बन जीवंत जिया ताकि इतिहास एक एक बात से प्रेरणा ले सके !
प्रामाणिकता: - हरिद्वार के कनखल में सती का जन्म स्थान भी है और वह स्थान भी है जहां प्रजापति दक्ष ने राजसूय यज्ञ कराया था !
वो स्थान दक्ष घाट के नाम से जाना जाता है।
अपर्णा गौरी शर्मा
मुम्बई महाराष्ट्र
Alka jain
27-Jun-2023 07:46 PM
Nice
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Shnaya
27-Jun-2023 06:35 PM
Nice one
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sunanda
09-Jun-2023 03:18 PM
good
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